नेपाल

Nepal : मधेस आंदोलन में बलिदान देने वालों का सपना अब तक नहीं हुआ पूरा

मधेश आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में मनाया गया 18वां बलिदान दिवस

नेपाल डेस्क : नेपाल में हुए मधेश आंदोलन के पहले शहीद रमेश महतो की याद में सिरहा के लहान में उनकी पुण्यतिथि 18वें बलिदान दिवस के रूप में मनाई गई इस दौरान लोगों ने कहा कि मधेश आंदोलन के शहीदों ने जो सपना देखा था वह अभी तक अधूरा है, सभी को एकजुट होकर आखिरी बार संघर्ष करने की आवश्यकता है।

साल 2007 में नेपाल के राजनीतिक दलों के सात-पक्षीय गठबंधन और सीपीएन-माओवादी ने नेपाल के अंतरिम संविधान की घोषणा की। संविधान ने जानबूझकर मधेसियों और अन्य हाशिए के समुदायों की संघवाद और इन जातीय समुदायों के समान प्रतिनिधित्व की मांगों को नजरअंदाज कर दिया। जिसके बाद मधेशियों का एक जन आंदोलन हुआ। इस दौरान 18 जनवरी 2007 को मधेश प्रदेश के सिरहा जिला अंतर्गत के लहान में पुलिस की गोली से नरेश महतो शहीद हो गए थे। जिसके बाद से हर वर्ष मधेशी लोगों द्वारा उनकी पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शनिवार को आयोजित बलिदान दिवस कार्यक्रम में मधेश और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी ज्ञात और अज्ञात वीर शहीदों की याद में राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी नेपाल के केंद्रीय अध्यक्ष और नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री राजेंद्र महतो ने शहीद नरेश महतो की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया।

पूर्व उपप्रधानमंत्री महतो ने कहा कि मधेश की मुक्ति के लिए अभी भी संघर्ष जरूरी है। मधेश ने एकनिष्ठ औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ विद्रोह किया है। अभी भी मधेश औपनिवेशिक शासन से मुक्त नहीं हुआ है। मधेशी लोगों ने बलिदान दिया, कड़ा प्रतिरोध किया लेकिन हमें पूरी सफलता नहीं मिल सकी।असफलता के बाद संघर्ष की रणनीति बदलने के बजाय कुछ नेताओं ने सत्ता के आगे समर्पण कर दिया। महतो ने शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति की जरूरत बतायी।

उन्होंने कहा कि मधेश की मुक्ति का खाका तैयार कर बहुराष्ट्रीय राज्य की स्थापना करनी चाहिए। इस प्रणाली में सभी राज्यविहीन राष्ट्र की जनता को अपनापन महसूस होगा। सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने मधेशी, थारू, पहाड़ी जनजातियों, मुसलमानों और दलितों सहित सभी समुदायों से सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करते हुए सुशासन और समृद्धि के लिए मिलकर लड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि सत्ता का लालच किसी शहीद का सपना पूरा नहीं करता। यह लोगों को धोखा देने के अलावा कुछ नहीं है। शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए सभी नेपालवासियों को एकजुट होकर आखिरी बार संघर्ष करना चाहिए। इस दौरान शहीदों के परिजनों ने शहीदों के सम्मान के लिए आभार व्यक्त किया।

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