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Balrampur : भगवानपुर खादर क्षेत्र में जाने का नहीं है रास्ता, जुगाड़ से बने देसी पुल से आवागमन को मजबूर लोग, बरसात में कट जाता है सिद्धार्थनगर जिले से संपर्क

पचपेड़वा क्षेत्र के बूढ़ी राप्ती नदी के भगवानपुर खादर घाट पर वर्षों से एक अदद पुल की मांग कर रहे क्षेत्रीय लो

ऑनलाइन खबर डेस्क, बलरामपुर : प्रशासन की लगातार अनदेखी के शिकार बलरामपुर जिले के पचपेड़वा क्षेत्र के भगवानपुर खादर ने लोगों ने अपनी समस्या का खुद समाधान कर लिया है। बूढ़ी राप्ती नदी के भगवानपुर खादर घाट पर पुल नहीं होने से परेशान ग्रामीणों ने जिम्मेदार अधिकारियों को कई बार इससे अवगत कराया, लेकिन उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब ग्रामीणों ने खुद मिलकर पुल बना दिया है। बांस-बल्ली से बने इस पुल से ग्रामीण आवागमन कर रहे हैं। वर्षों एक अदद पुल की बाट जोह रहे लोगों ने प्रशासन से पक्का पुल निर्माण की मांग की है।

सिद्धार्थनगर-बलरामपुर जिले की सीमा से सटकर बहने वाली बूढ़ी राप्ती नदी, जिसे स्थानीय भाषा में बगहा नदी कहा जाता है, पर भगवानपुर खादर के पास जुगाड़ से बने देसी पुल से हजारों क्षेत्रीय लोगों का आवागमन हो रहा है। बांस-बल्ली से बना पुल पचपेड़वा क्षेत्र के भगवानपुर खादर, कटैयाभारी, मंगुरहवा, हज्जी डिहवा, पजोहा, कुटी रमतलहा, इमिलिया खादर, बराही खादर, गौराभारी, लैबुड़वा, खादर, धनकरपुर, हाटी, मलदा, सकलदा, सतनी, त्रिलोकपुर आदि गांवों के लोगों को सिद्धार्थनगर जिले से जोड़ता है। बूढ़ी राप्ती नदी पर पक्का पुल न बनने से बीते कई दशकों से लोग शासन व प्रशासन की अनदेखी झेल रहे हैं।

पक्के पुल के न होने से बरसात में नाव बनती है सहारा
बगहा नदी पर पुल न होने से बरसात के दिनों में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खादर क्षेत्र पूरी तरह से अलग-थलग हो जाता है। ग्रामीणों को दैनिक जरूरतों के लिए नाव या अस्थायी साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे कभी-कभी जानमाल का नुकसान भी होता है फिलहाल स्थानीय लोगों द्वारा बांस बल्ली का पुल बनाकर आवागमन किया जा रहा है।

‘पूर्वांचल का पंजाब’ कहे जाने वाले भगवानपुर खादर से टूट जाता है संपर्क
यह मार्ग न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवानपुर खादर, जिसे ‘पूर्वांचल का पंजाब’ कहा जा रहा है, कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुका है। यहां कभी अरहर, तिल, चना, मसूर व मटर की उपज होती थी लेकिन बाढ़ क्षेत्र होने तथा नदी में तूफान आने से लगभग 2000 हेक्टेयर खेत में बाढ़ में समाहित हो जाते हैं और पूरा खादर क्षेत्र जलमग्न हो जाता है।

यह मार्ग कई आध्यात्मिक केंद्रों को जोड़ता है
यह क्षेत्र आध्यात्मिक रूप से भी विशेष महत्व रखता है। यहां बाबा उरूष दास कुटी, मल्दा गुणा बाका अंगदास, रमतलहा खादर और माता बाराही रानी मंदिर जैसे धार्मिक स्थल हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था के केंद्र बने हुए हैं। यह मार्ग नेपाल सीमा से जुड़े रेहरा, मुनैलिया, परशुरामपुर, पचपेड़वा जैसे अनेक गांवों को बलरामपुर के व्यावसायिक केंद्र बिस्कोहर से जोड़ता है। यह व्यापारिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि बगहा नदी पर भगवानपुर खादर घाट पर पुल बन जाए तो न केवल लोगों को सुगम आवागमन मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार में भी तेजी आएगी।

स्थानीय लोगों ने किया पक्का पुल बनवाने का मांग
क्षेत्र के पिंकू शुक्ल, बेकारू, अमीर अहमद, रविंद्र चौधरी आदि का कहना है कि पुल निर्माण के लिए साल 2009 से ही जनप्रतिनिधियों से लेकर मंडल स्तर तक मांग उठती रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बाढ़ के समय कटैयाभारी गांव के पास स्थित जुगाड़ का पुल तेज बहाव में बह जाता है। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बरसात से पहले यदि यह। पर पुल का निर्माण नहीं हुआ तो ग्रामीणों को आवागमन की गंभीर समस्या झेलनी पड़ेगी।

प्रस्ताव तैयार कराने का निर्देश
भगवानपुर खादर और मंगुरहवा गांव के बीच कटैयाभारी गांव के पास बूढ़ी राप्ती नदी पर पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों ने प्रार्थना पत्र दिया है। बाढ़ खंड के इंजीनियरों को पुल निर्माण का प्रस्ताव तैयार कराने का निर्देश दिया है। यदि बजट प्राप्त होता है, तो पुल निर्माण कार्य तुरंत शुरू कर दिया जाएगा।
अभय सिह, एसडीएम तुलसीपुर

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